सीमेंट के दामों को सरकार लेगी नियंत्रण में, कानून बनाने पर विचार: बिक्रम ठाकुर


आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर कहा कि सीमेंट के दामों पर बढ़ौतरी को लेकर सरकार को कोई नियंत्रण नहीं है। लेकिन सरकार इसको लेकर एक कानून बनाने पर विचार कर रही है।
गुरूवार को यहां पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सीमेंट के दाम कंपनियां खुद तय करती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस पर विचार कर रही है और इसके लिए ठोस कानून बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि लाकडाउन के समय केंद्र और राज्य सरकार ने हर वर्ग को लाभ पहुंचाया है। उनका कहना था कि कोविड के दृष्टिगत हमारे जो एम.एस.एम.ई. उद्यमी प्रभावित हुए हैं उनको आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत राहत देने के लिए कोलेटरल मुक्त ऑटोमैटिक ऋण प्रदान करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा 3 लाख करोड़ रूपए का वित्तीय पैकेज घोषित किया गया है, ताकि बाजार में तरलता बढ़ सके।
उन्होंने इस आर्थिक पैकेज का मुख्य उद्देश्य यदि हम औद्योगिक दृष्टि से बात करें तो कोविड के कारण हमारे औद्योगिक सैक्टर को जो एक धक्का लगा, उससे इस क्षेत्र को बाहर निकाल कर पुनः प्रगति पथ पर ले जाना है। अब तक हिमाचल प्रदेश में कार्यरत बैंको के द्वारा हमारे एम.एस.एम.ई. उद्यमियों को लगभग 1250 करोड़ रूपये का ऋण इस आर्थिक पैकेज के अंतर्गत वितरित किया जा चुका है। हमारे उद्योग विभाग के अधिकारी, जब से यह पैकेज घोषित किया गया है, बैंकों के साथ मिलकर उद्यमियों को
उन्होंने बताया कि प्रदेश में लगभग 2000 करोड़ तक का ऋण आपातकाली केडिट लाइन गारंटी योजना के तहत उद्यमियों को वितरित किया जाएगा। जो इकाईयां अभी ठीक ढंग से कार्य कर रही हैं व भविष्य में अपना विस्तार करना चाहती हैं उनके लिए इस आत्मनिर्भर पैकेज के अंतर्गत 50 हजार करोड़ का फण्ड स्थापित किया गया है परन्तु अभी बैंकों का ध्यान उद्यमियों के लिए इमरजेंसी के डिट ऋण देने पर है। अतः फण्ड ऑफ फण्डस के अंतर्गत अभी तक बैंकों द्वारा ऋण देना शुरू नहीं किया गया है।
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उन्होंने कहा कि दबाब का सामना करने के लिए 20 हजार करोड़ की केडिट गारंटी योजना शुरू की गई। यह ऋण उन्हीं उद्मियों को दिया जाएगा जो डिफाल्टर है।
सूक्ष्म विनिर्माण और सेवाओं की परिभाषा में बदलाव से प्रदेश के लगभग 99 प्रतिशत उद्यम एम.एस.एम.ई. की परिभाषा में आ जाएंगे तथा केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा मिलने वाले प्रोत्साहनों से लाभान्वित होंगे। इस योजना के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में कुल 5175 योग्य संस्थान हैं तथा 99672 कामगार पात्र हैं।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के विकास के लिए 10 हजार करोड़ तथा पशुपालन विकास के लिए ढांचागत सुविधा विकसित करने को 15 हजार करोड़, मत्स्य पालन वैल्यू चेन के लिए 20 हजार करोड़, मौन पालन विकास के लिए 500 करोड़ तथा सामाजिक ढांचागत विकास के लिए 8100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। हिमाचल प्रदेश के लिए 1191 इकाईयों का लक्ष्य दिया गया है जिसमें स्वयं सहायता समूहों तथा महिला समूहों को शामिल किया जाएगा ।
कोविड-19 महामारी के दौरान हिमाचल से झारखण्ड राज्य को रेल व बसों द्वारा कुल 3918 प्रवासी कामगारों को उनके घर वापिस भेजा गया। इसके अतिरिक्त झारखण्ड राज्य से हिमाचल के 15 मजदूरों को वापिस लाया गया।
वहीं उद्योग मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से नियोक्ता और कर्मचारी के पीएफ अंशदान के भुगतान की योजना को तीन महीने के लिए बढ़ाने से प्रदेश में उद्योगों में कार्यरत 99 हजार से अधिक कामगारों को लाभ मिलेगा। हिमाचल के उद्योग इससे लाभान्वित होंगे।  केंद्र सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए उद्योग मंत्री ने कहा कि कोविड 19 के दृष्टिगत जो एमएसएमई उद्यमी प्रभावित हुए हैं। उनको आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत राहत देने के लिए कोलेटरल मुक्त ऑटोमेटिक ऋण प्रदान करने के लिए अब तक का सबसे बड़ा तीन लाख करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज घोषित किया गया है।
इस अवसर पर प्रदेश भाजपा के महामंत्री और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जम्वाल और प्रदेश भाजपा के सह मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा भी मौजूद रहे।

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