आनी उपमंडल के लहसुन उत्पादकों को इस बार मिले अच्छे दाम

बढ़िया लहसुन के दाम किसानों को मिले घर द्वार पर ही सौ रूपये किलो

किसान कोरोना संकट में लहसुन बिक्री की छोड़ चुके थे आस

विशेषर नेगी
शिमला। राजधानी शिमला के जिला कुल्लू के आनी क्षेत्र में लहसुन उत्पादकों को लाॅकडाउन के चलते भी आशा से बढ़ कर दाम देती हैं। हालंकि इस बार अनुकूल मौसम होने के कारण पैदावार भी काफी अधिक थी, ऐसे में कोरोना के कारण लहसुन उत्पादक किसान हताश और मायूस हो गए थे। किसानो को लग रहा था कि इस बार बाहर से लहसुन के व्यापारी नहीं आएंगे और उनका लहसुन खेतों में ही सड़ जाएगा। लेकिन सरकार की मदद से खरीददार उनके घर द्वार पर पहुंचे और उम्मीद से बढ़कर दाम उन्हें मिले।
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इस बार लहसुन 105 रूपये किलो तक गांव में ही बिका। रामपुर के साथ लगते कुल्लू जिला के इन दूर दराज क्षेत्र में सैकड़ों गांव में लहसुन का बड़े पैमाने पर खेती करते है। क्षेत्र के करीब 100 गांव में 400 टन से अधिक का लहसुन इस बार हुआ है। लहसुन सप्लायर देव भारद्वाज ने बताया कि इस बार किसानों को अपने उत्पाद बेचने की काफी समस्या हो रही थी। जब वह आनी क्षेत्र में पहुंचे तो बेंगलुरु की कंपनी से संपर्क कर करीब सौ टन लहसुन बगलोर भेजा गया।
   उन्होंने कहा इससे किसानों को लहसुन का अच्छा पैसा मिला। जयप्रकाश ने बताया कि वह रघुपुर क्षेत्र का रहने वाले है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में करीब 100 गांव में 300 से 400 टन लहसुन तैयार होता है। इस बार कोरोना की वजह से लोगों को काफी परेशानियां थी और शंका भी थी कि उन्हें मार्केट में कैसे प्रोडक्ट को भेजेंगे। लेकिन उन का लहसुन सप्लायर से बैंगलोर पहुंचा। इससे किसान काफी खुश है।
भरत ठाकुर ने बताया कि वो फनौटी गांव के रहने वाले है। इस बार लहसुन की खेती काफी अधिक थी। हमें डर था कि हमारी फसल बिकने वाली नहीं है। लेकिन बाहर से व्यापारी आए और हमें उम्मीद भी नहीं थी इतना पैसा उन्हें मिलेगा। फनौटी की रहने वाली सुनीता ने बताया कि इस बार लहसुन की पैदावार काफी अच्छी हुई है। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इस बार उनका लहसुन लॉकडाउन के कारण बिकेगा लेकिन उन्हें घर द्वार पर ही लहसुन खरीदने वालामिला और उनका करीब 35 कुंटल लहसुन बिका। किसान तेजराम ने बताया कि वे दो तरह के लहसुन की खेती करते है। एक सफेद और दुसरा लाल होता है।

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