विशेष: प्लासेंटा ने दी ऐसिड से ख़राब हुई आँखों को नई रोशनी

अनुराधा शर्मा
पंजाब के पटियाला की रहने वाली शिल्पा ने सोचा भी नहीं होगा कि आमतौर पर घरों में इस्तेमाल करने वाला टॉयलेट क्लीनर उसकी दुनिया में अंधेरा कर देगा. और उसने यह भी नहीं सोचा होगा कि प्रसव के बाद फेंक दिया जाने वाला प्लसेंटा ही उसकी आँखों ने रोशनी लौटा पाएगा.
शिल्पा अपने जीवन का वो बुरा दिन आज भी नहीं भूल पाती है जिस दिन घर में काम करते हुए उसने बाथरूम में रखी टॉयलेट क्लीनर की बोतल उठायी थी. लम्बे समय तक रखे रहने की वजह से बोतल कमज़ोर हो चुकी थी जो उठाते ही टूट गयी और टॉयलेट क्लीनर के छींटे शिल्पा की आँखों में जा गिरे.
आँख में ऐसिड गिरते ही शिल्पा की जैसे जान निकल गयी. आखों में तेज जलन हुई. उसने किसी तरह से हिम्मत करके आँखों को पानी से धोया. लेकिन उसे पता नहीं था कि ऐसिड आँखों को ऐसा नुक़सान पहुँचा चुका था जो पानी से ठीक होने वाला नहीं था. आँखें धोने के बाद जब जलन कम नहीं हुई और आँखों से कुछ दिखायी नहीं दिया तब उसे समझ आया कि आँखों की रोशनी जाती रही. शिल्पा को चंडीगढ़ के सेक्टर 22 में कोर्निया सेंटर में लाया गया.
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कोर्निया सेंटर के डॉक्टर अशोक शर्मा के मुताबिक़ ऐसिड ने आँखों में गहरे ज़ख़्म कर दिए थे और आँख की पुतलियाँ जल चुकी थी. ऐसे में ज़ख़्म को जल्दी भरना ज़रूरी था. सामान्य दवाओं से ऐसा करना सम्भव नहीं लग रहा था.
इसके अलावा कोर्निया के एपिथिलीयल सेल डेमेज होने के कारण में लिंबल स्टेम सेल डिफ़िशन्सी हो गयी. नतीजा यह हुआ कि कंजकटाइवा कोर्निया के ऊपर तक फैल गया और कोर्नियल ओपेसिटी हो गयी.
इस तरह के गम्भीर मामलों में इलाज के लिए प्लासेंटा का इस्तेमाल होता है. मेडिकल भाषा में इसे ‘ऐम्नीआटिक मेम्ब्रेन ट्रांसप्लांट’ कहा जाता है.
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क्या है प्लसेंटा और ‘एएमटी’

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प्लसेंटा असल में गर्भ के दौरान गर्भाशय में बनने वाली एक मेम्ब्रेन होती है जिससे गर्भनाल जुड़ी रहती है. इसके ज़रिए गर्भ में बच्चे को आवश्यक पोषण मिलता है. प्रसव के बाद प्लसेंटा शरीर से निकाल दिया जाता है और फेंक दिया जाता है. इस प्लसेंटा में कुछ चमत्कारिक गुण पाए जाते हैं. इन गुणों में से एक है गहरे ज़ख़्म को तेज़ी से भरने की शक्ति.
चमड़ी की ग्राफ़्टिंग के लिए तो प्लसेंटा का इस्तेमाल लगभग एक सौ साल से किया जा रहा है, लेकिन आँखों की बीमारियों के इलाज के लिए यह क़रीब पच्चीस साल पहले ही चलन में आया. इसे कंजक्टिवल ग्राफ़्टिंग और ग्लुकोमा लीकेज़ रोकने आदि के लिए भी इस्तेमाल किया है. आँख के बाहरी भाग की अधिकतर सर्जरी में इसका इस्तेमाल होता है.
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डॉक्टर शर्मा ने बताया कि ऐम्नीआटिक मेम्ब्रेन ट्रांसप्लांट से इस मरीज़ की आँख के ज़ख़्म भरे गए. तब पाया गया कि कोर्निया पूरी तरह से जल चुका था. ऐम्नीआटिक मेम्ब्रेन ट्रांसप्लांट की मदद से जल्दी ज़ख़्म भर गए तो कोर्निया ग्राफ़्ट भी जल्दी सम्भव हो सका और मरीज़ को लम्बे समय तक नेत्रहीनता नहीं झेलनी पड़ी. ऐम्नीआटिक मेम्ब्रेन का एक लाभ यह भी हुआ कि चूँकि ज़ख़्म भरने के तुरंत बाद कोर्निया ग्राफ़्ट करते समय टाँका रहित (स्टिचलेस) सर्जरी करने की ज़रूरत थी, इसलिए एएमटी तकनीक से यह सम्भव हो सका.
ऐसे हादसे के बारे में डॉक्टर शर्मा की सलाह है कि आँखों को साफ़ पानी से काफ़ी देर तक धोएँ और बिना देरी किए नेत्ररोग विशेषज्ञ के पास जाएँ. आँखों में जलन कम करने के लिए कोई भी घरेलू नुस्ख़ा नहीं आज़माएँ.