हिमफेड व एचपीएमसी तुरन्त जारी करे एमआईएस के तहत बागवानों नों की 15 करोड़ की बकाया राशि: डाॅ तंवर

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। एक ओर कोरोना का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है तथा दूसरी ओर सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसान-बागवानों की स्थिति बदतर होती जा रही है। प्रदेष की आर्थिकी में महत्वपूर्ण स्थान रखने  वाली सेब की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए जिस प्रकार से सरकार के स्तर पर प्रयास होने चाहिए थे वो कहीं पर भी नजर नहीं आते हैं।

जिस प्रकार से सकैब का  बढ़ता प्रकोप, मालभाड़े में की गई भारी वृद्धि, कोविड प्रबंध, मण्डियों में आवश्यक प्रबंध व्यवस्था, मजदूरों व कार्टन ट्रै आदि की व्यवस्था न कर पाने से सरकार का किसान-बागवान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है।

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इसके इलावा मार्केट इंटरवेशन स्कीम एमआईएस जिसका अधिकतर लाभ मुख्यतः छोटे व मध्यम दर्जे के बागवानों के लिए होता है, सरकार की लापरवाही के चलते सालभर से बागवानों को की जाने वाली 15 करोड़ की राशि का भुगतान नहीं किया गया है। यहां पर हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष, महासचिव व राज्य वित सचिव द्वारा जारी एक संयुक्त ब्यान जारी करते हुए कहा कि कहां तो सरकार से उम्मीद थी कि किसानों को ऐसे संकट के समय में कोई राहत पैकेज दिया जाएगा लेकिन किसानों की अपने सालभर के खून-पसीने की कमाई की मेहनत भी सरकारी फाईलों में धूल खा रही है।

प्रदेश के 2019-20 में कुल सेब उत्पादन 7.15 लाख मीट्रिक टन में से 61,117 मीट्रिक टन सेब ;33 हजार मीट्रिक टन जिसका मूल्य 26,5 करोड़ रुपये हिमफेड तथा 28 हजार मीट्रिक टन जिसका मूल्य 22.4 करोड़ है। एचपीएमसी द्वारा 8 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा गया, जिसकी कुल राशि 48.9 करोड़ बैठती है।

डाॅ तंवर ने कहा कि इस कुल राशि में से 15 करोड़ रुपये की राषि जो एचपीएमसी के स्तर पर 10 करोड़ रुपये तथा हिमफेड के स्तर पर 5 करोड़ रुपये बकाया है जिसे किसानों को दिया जाना बाकि है। एक ओर तो धोखधड़ी के चलते आढ़तियों की मनमानी से करोड़ो रुपयों का पिछले कई सालों का भुगतान कई बागवानों को अभी तक नहीं किया गया है, ऊपर से 15 करोड़ की सरकारी तंत्र द्वारा इस राशि को जारी न किए जाने से स्थिति और बिगड़ गई है। इस स्थिति ने किसानों के अंदर चिंताएं बढ़ा दी हैं जो ऐसे समय में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस राशि का भुगतान अधिकांश छोटे व मझोेले किसानों को होना है।

अतः हिमाचल किसान सभा प्रदेश सरकार से इस मसले पर तुरंत हस्तक्षेप की मांग करती है तथा आग्रह करती है कि सरकार तुरंत हिमफेड व एचपीएमसी को बकाया भुगतान जारी करने के निर्देश दे। अन्यथा 20 अगस्त के बाद पंचायत, तहसील तथा खण्ड स्तर पर इसके खिलाफ किसान सभा  संघर्ष छेड़गी।