नई शिक्षा नीति रोजगार परक,  देश में सबसे पहले लागू करने वाला हिमाचल पहला राज्य : गोविंद ठाकुर

नई शिक्षा नीति पर विस्तार से चर्चा के बाद सदन में जवाब देते शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर
नई शिक्षा नीति पर विस्तार से चर्चा के बाद सदन में जवाब देते शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि ‘नई शिक्षा नीति रोजगार लेने वाला नहीं बल्कि रोजगार देने वाला बनाएगी।’ यह रोजगार परक नीति है जिसे हिमाचल में सबसे पहले लागू किया गया है। गोबिंद ठाकुर बुधवार को यहां विधानसभा सदन में नियम 130 के तहत विधायक राजीव बिंदल द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति पर हुई चर्चा का जबाव दे रहे थे । उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सरकार ने प्रदेश स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है जो इसे प्रभावी तौर से लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाएगी।

उन्होंने कहा कि इसे नई शिक्षा नीति नहीं बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहेंगे क्योंकि ये पूरे देश में लागू हो रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार कैबिनेट इसे लागू करने पर सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है। सभी विधायकों को इसका लिखित प्रारूप दिया है। अभी नीति बनी है इसका विस्तृत खाका अभी बन रहा है। देश के एक हजार विश्वविद्यालयों के कुलपति, दो लाख से ज्यादा लोगों के सुझाव लिए गए हैं। यह नीति 2020-21 की है। उन्होंने कहा कि इस नीति पर विचार करने से पहले हमें तय करना होगा कि हम कैसा मनुष्य चाहते हैं तभी इसका लाभ मिलेगा।   उन्होंने बताया कि पहली शिक्षा नीति वर्ष 1968 में आई जिसके बाद 1986 और फिर 1992 में आई। सतत प्रक्रिया है, जिसके तहत अब 34 साल बाद नई नीति आई है। यह किसी एक पार्टी या सरकार की नहीं बल्कि पूरे देश की नीति होती है।

उन्होंने कहा कि नई नीति का लक्ष्य देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है। वर्ष 2040 तक भारत में ऐसी शिक्षा व्यवस्था का ढांचा बनाया जाएगा जो किसी से पीछे नहीं होगा। शिक्षा मंत्री का कहना था कि समान रूप से गुणवत्ता युक्त शिक्षा सभी को मिले इसका ध्येय है। इसको लागू करने में आर्थिक दृष्टि से भी कमी नहीं रहनी चाहिए ऐसा प्रावधान रखा गया है। गोबिंद सिंह ने कहा कि शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6 फीसदी बजट कभी नहीं मिला लिहाजा वर्तमान सरकार इसे बढ़ा रही है और केंद्र सरकार इसका प्रावधान कर रही है।

उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल के अलावा कुमार स्वामी कस्तूरी नंदन जोकि ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष रहे का आभार जताया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि लिखित में भी विधायक अपने सुझाव दे सकते हैं। हिमाचल में क्या नया जोड़ सकते हैं उसकी व्यवस्था भी इसमें है। विधायकों की समिति बनाकर इसपर काम करने में भी कोई गुरेज नहीं है। छात्रों की मेधा को खांचे में बंद करने की बजाय उन्हें मुक्त वातावरण में शिक्षा लेने की व्यवस्था इसमें है। बच्चे इससे सर्वांगीण उन्नति करेंगे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2030 तक 50 फीसदी लोगों को व्यावसायिक दृष्टि से खड़ा करने का लक्ष्य रखा गया है। करोड़ों बच्चों के भोजन का भी प्रावधान है जोकि पौष्टिक होगा। इससे पहले चर्चा में करीब 15 सदस्यों ने भाग लिया।