हिमाचल बना 97वां संविधान संशोधन लागू करने वाला पहला राज्य

सहकार भारती प्रान्त सह सचिव पंकज सहोड़
सहकार भारती प्रान्त सह सचिव पंकज सहोड़
 सत्यदेव शर्मा सहोड़
शिमला। सहकार भारती प्रान्त सह सचिव पंकज सहोड़ ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 97वे सविंधान संशोधन के अनुसार, हिमाचल प्रदेश  सहकारी सोसाइटी (अधिनियम) संशोधन 2020 पारित करने को सहकारी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन बताया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने सहकारी अधिनियम में इस संशोधन के प्रावधानों के अनुसार संशोधन करने वाला प्रथम राज्य बन गया है। इससे जिला ऊना के सहकारी क्षेत्र में खुशी का वातावरण है।
उन्होंने इस पुनीत विशेष कार्य  के लिए जो कि सहकार भारती की बड़े समय से एक प्रमुख मांग थी को पूर्ण करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, सहकारिता मन्त्री सुरेश भारद्वाज, पंचायती राज मन्त्री वीरेंद्र कंवर और स्वास्थ्य मन्त्री राजीव सहजल का धन्यवाद किया। उन्होंने सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन मन्त्री संजय पाचपोर, राष्ट्रीय महामंत्री उदय जोशी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मराठ का भी इस सम्बन्ध में मार्गदर्शन हेतु धन्यवाद किया।उन्होंने हिमाचल के संगठन प्रमुख डा. विवेक वशिष्ठ, प्रान्त उपाध्यक्ष राजेश कुमार कपिल और सहकार भारती के संस्थापक सदस्य विनोद शर्मा का भी इस बिल के निमित सरकार द्वारा गठित तीन मन्त्रियों की समिति से बातचीत करके इसकी संस्तुति करवा कर इसे पारित करवाने के लिए दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए आभार  जताया।
    इस बिल  से सहकारी सभायें अधिक प्रजातांत्रिक हुई है। अब समाज के आम लोग एक्ट के अनुसार सहकारी सभा का पंजीकरण करवा सकते है। इससे पहले सभा का पंजीकरण करने को विभाग टोल मटोल किया करते थे और पंजीयन करने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप का बोलबाला होता था। इसके अलावा सरकार ऑडिटर्स का पैनल जारी करेगी, जिसमें से सभा किसी भी ऑडिटर को आम सभा में अपने ऑडिट कार्य के लिये चुन सकती है। इससे ऑडिट में पारदर्शिता बढ़ेगी।
अब सभा अपने उप नियमों में यदि संशोधन करती है तो विभाग को वह स्वीकार करना होगा। विभाग अब सभा को अपने उपनियमों में बदलाव करने को आदेश नही कर सकती। 14-ए धारा जो सहकारिता के अनुरूप नही थी उसका विलोप कर दिया है। सभायें अपने सदस्यों से लेंन देंन कर सकती है। पंकज सहोड़ ने बताया की इस बिल के पास होने से सहकारी क्षेत्र में खुशी की लहर है। इस बिल के पास होने से सहकारिता विरोधी उपबन्ध समाप्त हो गए है तथा सहकरिता क्षेत्र को अधिक सशक्त और लोकतांत्रिक बनाया गया है, जिससे आम जनमानस को लाभ हो सके और सहकारिता के माध्यम से अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति का आर्थिक कल्याण सुनिश्चित हो।
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